सत्ता और रोटी
- डॉ. हनुमान गालवा
वामपंथी मानते हैं कि सत्ता बंदूक की नाली से निकलती है। हमारी यूपीए
सरकार ने इस अवधारणा को झुठला दिया। सरकार इस धारणा को पुष्ट करने में
जुटी है कि सत्ता पेट से निकलती है। गरीब के पेट में दो-चार रोटी डालो।
सब्सिडी की लाठी से उसे हिलाओ तो उससे मतों की बारिश होगी। इस बारिश से
राज की फसल उगाओ और घोटालों की उपज काटो। राज के लिए बंदूक उठाने की
जरूरत नहीं। गरीब के पेट से सत्ता और सरकार के पेट से घोटाले और
गड़बडिय़ां पैदा होती हैं। सत्ता का पेड़ उगाने की हमारी अहिंसक तकनीक
दुनिया को नई दिशा दे सकती है। मनरेगा के तहत गड्ढ़े खुदवाओ। खाद्य
सुरक्षा अधिनियम का खाद डालो। फिर उसमें घोषणा के बीज डालो। उस पर
सब्सिडी का पानी छिडक़ो। वादों के आकर्षण से अंकुर फूट आएंगे।
आरोप-प्रत्यारोप के औजार से उसकी निराई-गुड़ाई कर दीजिए। जाति-धर्म पोषित
पौधा पेड़ बनते देर नहीं लगेगी। पेड़ पर लगे फूल (वोट) झोली में समेट
लीजिए और पूरे पांच साल खराटे भरते रहिए। इस पेड़ पर लगा फल (सत्ता) को
घोटाले और गड़बडिय़ों के आचार से ही पचाया जा सकता है। जब घोटाले और
गड़बडिय़ों के गुब्बार से निजात दिलाने में आरक्षण का चूर्ण मददगार साबित
हो सकता है। हमारी सरकार को सत्ता का पेड़ उगाने और उस पर चढ़े रहने के
फामूर्ले का तुरंत पेटेंट करवा लेना चाहिए, ताकि हमारी अपनी इस थ्योरी को
कोई अपना नहीं बता सके। अंग्रेज तो फूट डालो और राज करो नीति से देश में
कई साल जमे रहे। अब हमारी सरकार बांटो और खाओ नीति से सत्ता में बने रहने
के जुगाड़ कीर्तिमान रच रही है। जिन देशों में सत्ता के लिए संघर्ष चल
रहा है, हम उनको इस फार्मूले से संघर्ष से मुक्ति दिला सकते हैं। जंग में
बर्बाद होने की मूर्खता कर रहा अमेरिका भी हमारी थ्योरी को समझकर समझदार
बन सकता है। दुनिया चाहे तो हमारी थ्योरी का परीक्षण भी करवा सकती है।
न्यूज टूडे, जयपुर में 25 सिंतबर, 2013 को प्रकाशित व्यंग्य
http://newstoday.epapr.in/164316/Newstoday-Jaipur/25-09-2013#page/5/2
- डॉ. हनुमान गालवा
वामपंथी मानते हैं कि सत्ता बंदूक की नाली से निकलती है। हमारी यूपीए
सरकार ने इस अवधारणा को झुठला दिया। सरकार इस धारणा को पुष्ट करने में
जुटी है कि सत्ता पेट से निकलती है। गरीब के पेट में दो-चार रोटी डालो।
सब्सिडी की लाठी से उसे हिलाओ तो उससे मतों की बारिश होगी। इस बारिश से
राज की फसल उगाओ और घोटालों की उपज काटो। राज के लिए बंदूक उठाने की
जरूरत नहीं। गरीब के पेट से सत्ता और सरकार के पेट से घोटाले और
गड़बडिय़ां पैदा होती हैं। सत्ता का पेड़ उगाने की हमारी अहिंसक तकनीक
दुनिया को नई दिशा दे सकती है। मनरेगा के तहत गड्ढ़े खुदवाओ। खाद्य
सुरक्षा अधिनियम का खाद डालो। फिर उसमें घोषणा के बीज डालो। उस पर
सब्सिडी का पानी छिडक़ो। वादों के आकर्षण से अंकुर फूट आएंगे।
आरोप-प्रत्यारोप के औजार से उसकी निराई-गुड़ाई कर दीजिए। जाति-धर्म पोषित
पौधा पेड़ बनते देर नहीं लगेगी। पेड़ पर लगे फूल (वोट) झोली में समेट
लीजिए और पूरे पांच साल खराटे भरते रहिए। इस पेड़ पर लगा फल (सत्ता) को
घोटाले और गड़बडिय़ों के आचार से ही पचाया जा सकता है। जब घोटाले और
गड़बडिय़ों के गुब्बार से निजात दिलाने में आरक्षण का चूर्ण मददगार साबित
हो सकता है। हमारी सरकार को सत्ता का पेड़ उगाने और उस पर चढ़े रहने के
फामूर्ले का तुरंत पेटेंट करवा लेना चाहिए, ताकि हमारी अपनी इस थ्योरी को
कोई अपना नहीं बता सके। अंग्रेज तो फूट डालो और राज करो नीति से देश में
कई साल जमे रहे। अब हमारी सरकार बांटो और खाओ नीति से सत्ता में बने रहने
के जुगाड़ कीर्तिमान रच रही है। जिन देशों में सत्ता के लिए संघर्ष चल
रहा है, हम उनको इस फार्मूले से संघर्ष से मुक्ति दिला सकते हैं। जंग में
बर्बाद होने की मूर्खता कर रहा अमेरिका भी हमारी थ्योरी को समझकर समझदार
बन सकता है। दुनिया चाहे तो हमारी थ्योरी का परीक्षण भी करवा सकती है।
न्यूज टूडे, जयपुर में 25 सिंतबर, 2013 को प्रकाशित व्यंग्य
http://newstoday.epapr.in/164316/Newstoday-Jaipur/25-09-2013#page/5/2
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