क्यों रोके सरकार
- डॉ. हनुमान गालवा
इंटरनेट पर दौड़ रही अश्लीललता सरकार नहीं रोक सकती। चूंकि सरकार ने यह पते की बात न्यायालय में हलफनामा देकर कही है। लिहाजा अब सरकार के सामने अपनी बात से मुकरने का भी कोई चांस नहीं है। साफ कहना और सुखी रहना। पहली बार सरकार ने सच स्वीकारने की हिम्मत दिखाई। गुणीजन भी सरकार की पीठ थपथपाने के बजाय पता नहीं क्यों कान खींचने लगे हैं। आखिर सरकार किस-किस को रोके। ममता दीदी को रोकने के सरकार ने कोई कम प्रयास थोड़े ही किए थे। ममता दीदी को नहीं रोक पाने पर सरकार को ज्ञान हुआ कि जिसे रुकना है, वही रुकेगा और जिसे जाना है, उसे कोई नहीं रोक सकता। दीदी गई तो सरकार बचाने के लिए नए दीदी (मायावती) और भाई साहब (मुलायम सिंह) आ गए। ये दोनों उत्तर प्रदेश में लड़ रहे हैं, लेकिन केन्द्र में यूपीए सरकार को बचाने में इनका झगड़ा बाधक नहीं है। जब से ममता दीदी सरकार से रुठी है, तब से सरकार ने तय कर लिया है कि अब न तो किसी को रोकेगी और न ही किसी को बुलाएगी। जब सरकार बिना चलाए ही चल रही है और घटक दल बिना रोके ही रुक रहे हैं तो फिर इंटरनेट पर अश्लीलता जब थकेगी, अपने आप रुक जाएगी। अपने आप ही रुक जाने की उम्मीद में सरकार न तो महंगाई रोक रही है और न ही आतंकवाद और नक्सली हमले रोकने का कोई प्रयास कर रही है। अलबता सरकार के कर्णधार बयानों से बार-बार चुनौती देकर इनको ललकार रहे हैं, ताकि थक हार कर ये चुनौतियां भी अपने आप ही रुक जाए। अब यह घोषित करने का वक्त आ गया है कि रोकना सरकार का काम नहीं है। सरकार का काम टालना या अटकाना है, जो बखूबी कर रही है। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन को ही ले लीजिए। सरकार ने कैसे एक जन आंदोलन को केजरीवाल की पार्टी में समेटकर अपनी बला टाल दी। महंगाई रोकने की तारीख दर तारीख से लोगों ने महंगाई के बारे में सोचना ही बंद कर दिया। जब समस्या टालने या अटकाने से ही सुलझ रही है तो फिर उनको रोकने की क्या जरूरत?
न्यूज टुडे जयपुर के 20 जुलाई, 2013 के संस्करण में प्रकाशित व्यंग्य
http://newstoday.epapr.in/138116/Newstoday-Jaipur/20-07-2013#page/5/1
- डॉ. हनुमान गालवा
इंटरनेट पर दौड़ रही अश्लीललता सरकार नहीं रोक सकती। चूंकि सरकार ने यह पते की बात न्यायालय में हलफनामा देकर कही है। लिहाजा अब सरकार के सामने अपनी बात से मुकरने का भी कोई चांस नहीं है। साफ कहना और सुखी रहना। पहली बार सरकार ने सच स्वीकारने की हिम्मत दिखाई। गुणीजन भी सरकार की पीठ थपथपाने के बजाय पता नहीं क्यों कान खींचने लगे हैं। आखिर सरकार किस-किस को रोके। ममता दीदी को रोकने के सरकार ने कोई कम प्रयास थोड़े ही किए थे। ममता दीदी को नहीं रोक पाने पर सरकार को ज्ञान हुआ कि जिसे रुकना है, वही रुकेगा और जिसे जाना है, उसे कोई नहीं रोक सकता। दीदी गई तो सरकार बचाने के लिए नए दीदी (मायावती) और भाई साहब (मुलायम सिंह) आ गए। ये दोनों उत्तर प्रदेश में लड़ रहे हैं, लेकिन केन्द्र में यूपीए सरकार को बचाने में इनका झगड़ा बाधक नहीं है। जब से ममता दीदी सरकार से रुठी है, तब से सरकार ने तय कर लिया है कि अब न तो किसी को रोकेगी और न ही किसी को बुलाएगी। जब सरकार बिना चलाए ही चल रही है और घटक दल बिना रोके ही रुक रहे हैं तो फिर इंटरनेट पर अश्लीलता जब थकेगी, अपने आप रुक जाएगी। अपने आप ही रुक जाने की उम्मीद में सरकार न तो महंगाई रोक रही है और न ही आतंकवाद और नक्सली हमले रोकने का कोई प्रयास कर रही है। अलबता सरकार के कर्णधार बयानों से बार-बार चुनौती देकर इनको ललकार रहे हैं, ताकि थक हार कर ये चुनौतियां भी अपने आप ही रुक जाए। अब यह घोषित करने का वक्त आ गया है कि रोकना सरकार का काम नहीं है। सरकार का काम टालना या अटकाना है, जो बखूबी कर रही है। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन को ही ले लीजिए। सरकार ने कैसे एक जन आंदोलन को केजरीवाल की पार्टी में समेटकर अपनी बला टाल दी। महंगाई रोकने की तारीख दर तारीख से लोगों ने महंगाई के बारे में सोचना ही बंद कर दिया। जब समस्या टालने या अटकाने से ही सुलझ रही है तो फिर उनको रोकने की क्या जरूरत?
न्यूज टुडे जयपुर के 20 जुलाई, 2013 के संस्करण में प्रकाशित व्यंग्य
http://newstoday.epapr.in/138116/Newstoday-Jaipur/20-07-2013#page/5/1
No comments:
Post a Comment