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प्याज का करिश्मा
- डॉ. हनुमान गालवा
हमारा देश वाकई करिश्माई है। रोज नए-नए करिश्मे और चमत्कार। समोसे में आलू है, लेकिन संसद से लालू गायब हो चुके हैं। घोटाले की गेंद से रशीद मसूद भाई भी क्लीन बॉल्ड हो गए हैं तो तय है कि अब राजनीति के पिच पर दागी नहीं खेल पाएंगे। यह भी किसी सपने से कम नहीं है कि सजा होते ही सत्ता का स्विच स्वत: ही ऑफ हो जाएगा। अब तो राजनीति दलों का टिकिट नेटवर्क भी दागियों के लाइन कनेक्ट हो जाने पर भी 'नोट रिचेबलÓ हो जाएगा। खैर, राजनीति में तो करिश्मे, चत्मकार होते रहते हैं। बाबा सोने के खजाने का चमत्कार दिखा रहे हैं। सरकार आम आदमी का जाप छोड़कर खजाना...खजाना जप रही है। जब देश में चहुंओर चमत्कार हो रहा है तो फिर किसान के खेत का प्याज भी खामोश क्यों बैठा रहे? आखिर प्याज ने अपनी उछल-कूद से कई बार सरकार बदलने और बनाने का करिश्मा कर दिखाया है, तो उसके चमत्कार को कौन नहीं नमस्कार करेगा? किसान के खेत का एक रुपए किलो का प्याज दिल्ली में जाकर एक सौ रुपए का हो गया। दिल्ली जाकर नेताओं के भाव बढ़ जाते हैं, तो फिर प्याज अपने नखरे क्यों नहीं दिखलाएगा? प्याज के करिश्मे को समझने के लिए अतीत की परतें उधेडऩी पड़ेंगी। मिस्टर क्लीन कह करते थे कि दिल्ली से एक रुपया भेजते हैं, जो गांव के गरीब तक पहुंचते-पहुंचते पंद्रह पैसे रह जाता है। एक रुपए के पंद्रह पैसे में सिमट जाने की गुत्थी को भी प्याज के करिश्मे से ही सुलझाया जा सकता है। किसान के हाथ से प्याज निकलता है, तब उसे कोई खास भाव नहीं देता है। मंडी में थोक एवं खुदरा विक्रेताओं के चमत्कारिक स्पर्श से प्याज आम से खास हो जाता है। भंडार में रहते-रहते प्याज को चमत्कारिक बाबा की तरह अपनी शक्ति का अहसास होता है। कुछ दिन विश्राम के बाद जब प्याज ठेले पर विराजमान होकर गली-कूचे में भ्रमण करता है, तब उसे अपनी अहमियत का अंदाज हो जाता है। यहीं आकर सरकार को उसके छिलके भी डराने लगते हैं, लेकिन सत्ता में आने के सपने पाले प्रतिपक्ष को उसका तीखापन भी मीठेपन का अहसास देता है। प्याज सरकार के लिए बम है, तो सत्ताभिलाषी विपक्षी नेताओं के लिए सपने साकार करने वाला बाबा है। प्याज का सपना किसी को राजयोग दिखाता है, तो किसी को सत्तावियोग। यह प्याज का ही चमत्कार है कि एक ही सपने में संयोग और वियोग दोनों तरह की अनुभूति का अहसास हो जाता है। प्याज शनि की तरह कुंडली में बैठकर किसी को राजा भी बना सकता है और राजा को रंक भी बना सकता है।
न्यूज टुडे जयपुर में 28 अक्टूबर, 2013 को प्रकाशित व्यंग्य