Wednesday, 25 February 2015

pm modi suit controversy and auction hindi vyang नीलामी का समर्थन मूल्य और महंगाई डॉ. हनुमान गालवा

नीलामी का समर्थन मूल्य और महंगाई
- डॉ. हनुमान गालवा
नसीबजादे के कपड़ों की नायाब नीलामी ने अच्छे दिनों की उम्मीद के पंख लगा दिए हैं। महंगाई डायन के कहर से तार-तार हो चुके कपड़ों से अच्छे दिनों की उम्मीद बाहर झांकने को बेताब है। पीपली लाइव की पटकथा भी नसीबजादे के कपड़ों की नीलामी के बाद लिखी जाती, तो नाथा को अपना कर्ज चुकाने के लिए जान देने का प्लान नहीं बनाना पड़ता। वह भी अपने तन पर लटक रहे कपड़ों के अवशेषों की नीलामी से अपना जीवन बचाकर गंगा में डुबकी लगा सकता था, लेकिन अच्छे दिन शायद उसके नसीब में नहीं थे। अब अच्छे दिनों की सरकार है, तो पीपली लाइव के जो नाथा महंगाई डायन से अब तक बचे हुए हैं, उनके जीवन को कपड़ों की नीलामी से बचाया जा सकता है।

नीलामी का राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम घोषित करके लोगों को अच्छे दिनों की अनुभूति का अहसास करवाया जा सकता है। गुणीजन कह सकते हैं कि नसीबवाले के कपड़ों की नीलामी तो निवेश है, लेकिन गरीबों के कपड़े खरीद कर कोई खुद गरीब क्यों बनना चाहेगा? बात तो सोलह आना खरी है, लेकिन सरकार नीलामी का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करके अच्छे दिनों का लुक दे सकती है। सरकार चाहे, तो चीथड़े और कपड़े की नीलामी का समर्थन मूल्य अलग-अलग घोषित कर सकती है, ताकि सरकार पर भेदभाव का कोई आरोप नहीं लगे। सरकार चाहे तो नीलामी में अपने तन के कपड़े बेचने वालों के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता कर सकती है, ताकि नीलामी में कोई फर्जीवाड़े होने की कोई आशंका नहीं रहे। सरकार चाहे तो प्रधानमंत्री जनधन योजना का खाता संख्या लेकर कपड़ों की संख्या के आधार पर समर्थन मूल्य सीधे खाते में जमा करवा सकती है। नीलामी का यह सरकारी कार्यक्रम भी गिनीज बुक में दुनिया के सबसे बड़े नीलामी कार्यकम के रूप में दर्ज हो सकता है। इस नीलामी कार्यक्रम को आकर्षक बनाने के लिए बोली लगाने वालों को विशेष बोनस भी ऑफर किया जा सकता है। मसलन, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा बोली लगाएगा, उसे सरकारी काम-काज के ठेके में वरीयता दी जाएगी। कर्ज माफी योजनाओं को भी नीलामी के इस कार्यक्रम से लिंकअप किया जा सकता है कि तन के सारे कपड़े नीलामी करने वालों को सरकार कपड़े खरीदने के लिए कर्ज देगी, लेकिन खरीदे हुए कपड़े नीलाम होने पर ही ऋण माफी प्रदान की जाएगी।

डेली न्यूज, जयपुर में 26 फरवरी, 2015 को प्रकाशित व्यंग्य- नीलामी का समर्थन मूल्य और महंगाई
http://dailynewsnetwork.epapr.in/c/4596576